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परोपकारी सरोगेसी (Altruistic Surrogacy) क्या है – प्रक्रिया, लागत, फायदे और नुकसान?

Altruistic Surrogacy

परोपकारी सरोगेसी वह प्रक्रिया है जिसमें एक महिला किसी दंपत्ति के लिए बिना किसी आर्थिक लाभ के गर्भधारण करती है। इस मॉडल में सरोगेट मां को केवल गर्भावस्था से जुड़े मेडिकल खर्च, इंश्योरेंस और आवश्यक देखभाल ही प्रदान की जाती है। भारत में सरोगेसी कानून 2021 के तहत केवल परोपकारी सरोगेसी को ही अनुमति प्राप्त है, जिससे यह प्रक्रिया नैतिक, सुरक्षित और नियंत्रित मानी जाती है।

परोपकारी सरोगेसी कैसे काम करती है? (प्रक्रिया)

परोपकारी सरोगेसी पूरी तरह IVF तकनीक पर आधारित होती है और कई चरणों में पूरी होती है:

  1. मेडिकल मूल्यांकन

इच्छुक माता-पिता और सरोगेट दोनों का मेडिकल टेस्ट किया जाता है ताकि उनकी स्वास्थ्य स्थिति प्रक्रिया के लिए उपयुक्त पाई जाए।

  1. कानूनी अनुमोदन

सरोगेसी बोर्ड से आवश्यक अनुमतियाँ ली जाती हैं और दोनों पक्षों के बीच कानूनी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं।

  1. IVF प्रक्रिया
  • इच्छुक माता-पिता के एग और स्पर्म का उपयोग करके भ्रूण तैयार किया जाता है।
  • यह भ्रूण सरोगेट मां के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
  1. गर्भावस्था की निगरानी

पूरी गर्भावस्था के दौरान डॉक्टरों द्वारा नियमित जांच, अल्ट्रासाउंड और देखभाल सुनिश्चित की जाती है।

  1. प्रसव और जन्म

बच्चे के जन्म के बाद कानूनी प्रक्रिया के अनुसार शिशु को इच्छुक माता-पिता को सौंपा जाता है।

भारत में परोपकारी सरोगेसी की लागत

क्योंकि यह मॉडल “नॉन-कमर्शियल” है, इसलिए लागत अपेक्षाकृत कम होती है। कुल खर्च में शामिल होते हैं:

  • IVF प्रक्रिया का खर्च
  • दवाइयाँ और मेडिकल टेस्ट
  • सरोगेट का स्वास्थ्य बीमा
  • गर्भावस्था के दौरान मेडिकल देखभाल
  • कानूनी दस्तावेज और काउंसलिंग

औसतन लागत ₹4,00,000 से ₹7,50,000 के बीच हो सकती है, जो IVF प्रक्रिया और मेडिकल आवश्यकताओं पर निर्भर करती है।

परोपकारी सरोगेसी के फायदे

  1. कानूनी रूप से सुरक्षित

भारतीय कानून के तहत यह मॉडल पूरी तरह अनुमति प्राप्त है और सरकार द्वारा नियंत्रित होता है।

  1. कम लागत

कमर्शियल सरोगेसी की तुलना में खर्च बहुत कम होता है क्योंकि इसमें आर्थिक भुगतान शामिल नहीं होता।

  1. पारदर्शिता और नैतिकता

क्योंकि यह परिवार या रिश्तेदार द्वारा की जाती है, इसलिए विश्वास का स्तर अधिक होता है।

  1. बच्चे से जैविक जुड़ाव

भ्रूण माता-पिता के एग और स्पर्म से तैयार होता है, इसलिए बच्चा जैविक रूप से उनका ही होता है।

परोपकारी सरोगेसी के नुकसान

  1. सरोगेट खोजना मुश्किल

कानून के अनुसार सरोगेट करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए, जिससे उपयुक्त महिला मिलना कई बार चुनौतीपूर्ण होता है।

  1. भावनात्मक दबाव

परिवार के भीतर सरोगेसी होने से कई बार भावनात्मक जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

  1. कानूनी प्रक्रिया जटिल

बहुत सारी मेडिकल और कानूनी अनुमतियों की आवश्यकता होती है, जिससे प्रक्रिया समय लेने वाली हो सकती है।

  1. सरोगेट पर सीमाएँ

सरोगेट महिला केवल एक बार ही सरोगेसी कर सकती है और उसकी आयु 25–35 वर्ष के बीच होनी आवश्यक है।

निष्कर्ष

परोपकारी सरोगेसी (Altruistic Surrogacy) उन दंपत्तियों के लिए एक सुरक्षित, किफायती और कानूनी रूप से स्वीकृत विकल्प है जो चिकित्सा कारणों से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं। हालांकि इसमें कुछ चुनौतियाँ और सीमाएँ हैं, फिर भी यह मानवता और परिवारिक सहयोग पर आधारित एक सुंदर प्रक्रिया है, जो कई दंपत्तियों को माता-पिता बनने का अवसर प्रदान करती है।

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